रिमझिम बरसता सावन
रंग-गंध वाला बसंत
फूलों वाली चैती हवाए
कितना कुछ देखा था हमने
वो महकी-महकी रातें
वो गहरी-गहरी साँसें
वो बहकी-बहकी बातें
कितना कुछ जिया था हमने
कितना कुछ जिया था हमने
चाँदी सी मोहक अदाएं
दीप सी दमकती आभा
कोयल सी मीठी आवाज
कितना कुछ दिया था तुमने
तुम तो मेरे जीवन में
ईश्वर का एक वरदान थी
ईश्वर का एक वरदान थी
मैंने तो जीवन उसी में जी लिया था
जिन्ह लम्हों में संग दिया था तुमने।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें