सोमवार, 26 नवंबर 2018

वो आज सपने में आई

 जिसकी एक झलक पाने को                
    मेरी आँखें तरस गई
     उसके आते ही सपने में       
  प्रीत रेशमी बिखर गई 
   वो आज सपनें में आई। 

मन के सुने अँधियारें में
उसने दीपक राग जलाई  
मधुर छुवन की मीठी यादें    
  उसने आकर के महकाई     
     वो आज सपनें में आई।  

   मन - मयूर नाचा मेरा 
     आँखें मेरी भर आई
   रात सुहानी कर दी उसने       
    रजनीगंधा बन आई
    वो आज सपनें में आई। 

तारे डूबे एक-एक कर
      पूरब में लाली छाई 
फिर मिलने आउंगी तुमसे     
   वादा कर वो चली गई  
   वो आज सपने में आई। 




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