बुधवार, 21 नवंबर 2018

अब वह मजा कहाँ ?

पहले थी मोहब्बते जिंदगी
अब वह बात कहाँ ?

सुबह-शाम घूमने जाते
हँस-हँस करके बातें करते
तोड़ फूल हाथों में देते
अब वह बात कहाँ ?

एक दूजे की राह देखते 
साथ बैठ कर खाना खाते
मनुहारों से भोजन करते 
अब वह मजा कहाँ ?

शाम-सवेरे पूजा करते
भजन-आरती संग में गाते 
रागों की झंकार उठाते
अब वह समा कहाँ ?

जब-जब हम फुर्सत में होते 
अपने मन की बातें करते 
पुनर्मिलन की इस जीवन में
अब वह घड़ी कहाँ ?

देश-विदेश घूमने जात
गीत मुहब्बत के हम गाते 
चाँद-चांदनी संग था अपना 
अब वह साथ कहाँ ?  

पहले थी मोहब्बते जिंदगी
अब वह बात कहाँ ?

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