बुधवार, 28 नवंबर 2018

तुम साथ छोड़ कर चली गई

सुख गया जीवन का उपवन, रहा कभी जो हरा - भरा
पतझड़ आया जीवन में, तुम साथ छोड़ कर चली गई।

 जीवन के राह - सफर में, खुशियों के दिन बीत गए
                                             चलते-चलते जीवन में, तुम साथ छोड़ कर चली गई। 

मैंने आँखों में डाला था, जीवन के सपनों का काजल
बिच राह में टूटे सपने,  तुम साथ छोड़ कर चली गई। 

     दुःख मेरा अब क्या बतलाऊँ, दिल रोता है रातों में
     पलकें भीगे अश्कों से, तुम साथ छोड़ कर चली गई।

बिस्तर की हर सिलवट से, महक तुम्हारी ही आती
सांसें अटकी प्राणों में, तुम साथ छोड़ कर चली गई।

गीत अधूरे रह गए मेरे, अब क्या ग़मे बयान करुं 
  बिखरी सारी आशाएं, तुम साथ छोड़ कर चली गई।    

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