आज से
ठीक नौ महीने पहले
काल के क्रूर हाथों ने
तुमको छीन लिया था मुझ से
जब तक
तुम्हारा साथ रहा
भोर की उजली धूप की तरह
सुख लिपटा रहा मुझ से
सारी खुशियाँ
रही मेरी मुट्ठी में
हथेलियाँ छोटी पड़ जाती थी
थामने को सुख
लेकिन आज सुख फिसल गया
जीवन से पारे की तरह
छूप गया रुठ कर
जीवन की अंधेरी राहों में
याद आ रहा है
तुम्हारा हँसता चेहरा और
गजल कहती प्यारी आँखें
दिवार पर लगी
तुम्हारी तस्वीर देख
छलक पड़ती है मेरी आँखें।
ठीक नौ महीने पहले
काल के क्रूर हाथों ने
तुमको छीन लिया था मुझ से
जब तक
तुम्हारा साथ रहा
भोर की उजली धूप की तरह
सुख लिपटा रहा मुझ से
सारी खुशियाँ
रही मेरी मुट्ठी में
हथेलियाँ छोटी पड़ जाती थी
थामने को सुख
लेकिन आज सुख फिसल गया
जीवन से पारे की तरह
छूप गया रुठ कर
जीवन की अंधेरी राहों में
याद आ रहा है
तुम्हारा हँसता चेहरा और
गजल कहती प्यारी आँखें
दिवार पर लगी
तुम्हारी तस्वीर देख
छलक पड़ती है मेरी आँखें।
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