सोमवार, 26 नवंबर 2018

एक बार लौट आओ

रंग बिरंगी तितलियाँ
आज भी पार्क में
उड़ रही है 

गुनगुनी धुप आज भी 
पार्क में पेड़ों को
चूम रही है 

फूलों की खुशबू आज 
भी हवा को महका 
रही है 

कोयलियाँ आज भी
आम्र कुंजों में
गीत गा रही है 

हवा आज भी
टहनियों की बाहें पकड़
रास रचा रही है

लेकिन तुम्हारी
चूड़ियों की खनक आज
सुनाई नहीं दे रही है

तुम्हें मेरी कसम
मेरी हमदम
एक बार लौट आओ

अपनी चूड़ियों की
खनक एक बार फिर से
सुना जाओ।

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