गुरुवार, 22 नवंबर 2018

सांसो में उत्तरना

इस बार चौथ पर
मैं नहीं देख सका तुम्हारे
हाथों की मेहंदी 

तुम्हें बहुत शौक था 
लगाने हाथों में 
मेहंदी 

जब भी तुम लगाती
हाथों में मेहंदी 
मुझे आकर जरूर दिखाती

"बताओ कैसी रची है मेरी मेहंदी' 
अपने हाथों को मेरे सामने कर
तुम बार-बार पूछती 

तुम्हें बार-बार मुझसे 
मुस्कराते हुए पूछना
अच्छा लगता

और मुझे तुम्हारे
हाथों की खुशबू का
सांसो में उत्तरना अच्छा लगता। 

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