सुबह का सूरज
आज भी निकला था
आज भी निकला था
चाँद आज भी चांदनी संग आया था
तारे आज भी झिलमिला रहे थे
लेकिन आज तुम नहीं थी।
बगीचे में फूल आज भी खिले थे
तितलियाँ आज भी
फूलों पर मंडरा रही थी
भँवरें आज भी गुनगुना रहे थे
लेकिन आज तुम नहीं थी।
बच्चे आज भी गलियों में खेल रहे थे
दरवाजे पर काली गाय
आज भी रम्भा रही थी
आज भी रम्भा रही थी
कबूतर आज भी छत पर आए थे
लेकिन आज तुम नहीं थी।
पूजा की घंटियों के संग
सवेरा आज भी हुआ था
सवेरा आज भी हुआ था
मंदिर में आरती आज भी गाई गई थी
तुलसी चौरे पर आज भी
दीपक जला था
दीपक जला था
लेकिन आज तुम नहीं थी।
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