शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

मन सुखद स्पर्श चाहता है

खोया मन
नींद की प्रतीक्षा में 
करवटें बदलता रहता है 

आँखों से
ढलकते हैं अश्रु 
तकिया भीगता रहता है 

बेवफा हो जाती है 
दुःख में नींद भी 
वो भी साथ नहीं देती 

मन का दर्द चाहता है
एक सुखद स्पर्श
तस्वीर साथ नहीं देती

स्मृतियाँ  
कुरेदती रहती है मन को 
दर्द बहता रहता है नयनों से 

जैसे कालिदास के 
विरही यक्ष ने भेज दिया हो
मेघों को बरसने नयनों से।


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