बुधवार, 28 नवंबर 2018

कुछ तो कह कर जाती

आज अचानक
सुना हो गया मेरा जीवन
क्या गलती की थी मैंने
जो मिला विछोह का
इतना बड़ा दर्द
अब तो आजीवन
अफसोस ही बना रहेगा कि
अंत समय भी नहीं था पास तुम्हारे
तुमने इतना वक्त भी नहीं दिया
कि आकर दो बात करता तुमसे
लोग पूरी करते है शतायु
अभी तो कईं बरस बाकी थे
रुक जाती कुछ और
भोगती जीवन का सुख
करते-करते सबकी देखभाल
अभी जाकर ही तो मिला था आराम
चार-चार बेटे-बहुएं
सात पोते-पोतियाँ
भरा-पूरा परिवार
फिर क्यों रुठ गई अचानक
चली गई अनंत में
अब कहाँ खोजें और कहाँ ढूँढें
कोई अता-पता भी तो नहीं
शिकायत करें तो भी किससे
तुम तो चली गई
काश ! जाने से पहले
कुछ तो कह कर जाती।

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