गुरुवार, 22 नवंबर 2018

जब तक तुम साथ थी

जब तक तुम साथ थी
मन में खुशियों के
फूल खिला करते थे
अब तो दुःखों के बादल
छाए हुए हैं।

जब तक तुम साथ थी
जीवन सुहाना सफर
लगता था
अब तो जीवन गुजरा हुवा
कारवां लगता है।

जब तक तुम साथ थी
आँखों में सुख की नींद
बसा करती थी
अब तो आँखों से केवल
अश्रु बहते हैं।

जब तक तुम साथ थी
होठों पर प्यार भरे गीत
मचलते थे
अब तो केवल
दर्द भरी आहें निकलती है।

जब तक तुम साथ थी
दिन सोने के और रातें
चांदी की होती थी
अब तो दिन रेगिस्तान और
रातें पहाड़ लगती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें