ओ सावन के कारे मेघा, जाकर देना उसको पाती
बेटे- बहुएँ याद कर रहें, याद कर रही पोती रानी।
बच्चे दादी - दादी करते, बहता नयनों से पानी
पास बैठा कर उनको अब, कौन सुनाएं रोज कहानी। मीठी-मीठी लौरी गाकर, पोती रोज सुलाया करती परियों की बातें बतलाती, बात नहीं है बहुत पुरानी।
दरवाजे पर गुड़ खाने को, आ जाती है धौली - काली
कहना उसको याद कर रही, अंगना की तुलसी रानी।
शाम ढले मंदिर की घण्टी, प्रभु की महिमा जब गाती कहना उसको याद कर रही, घर की दीया ओ बाती।
शाम ढले मंदिर की घण्टी, प्रभु की महिमा जब गाती कहना उसको याद कर रही, घर की दीया ओ बाती।
मेरे सुख-दुःख की तुम, मत करना कोई भी बात
रोते - रोते सूख गया है, अब मेरे नयनों का पानी।
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