सोमवार, 26 नवंबर 2018

बहुत याद आती है

जब भी आकाश से
बरसती है रिमझिम बूँदें
मुझे याद आती है तुम्हारे
गेसुओं से टपकती बूँदें

मैं अक्सर खड़ा हो जाता हूँ
खिड़की खोल कर
देर तक खड़ा रहता हूँ
यादों की चादर ओढ़ कर

ऐसे बदलते मौसम में
बहुत याद आती है तुम्हारी
हवा की छोटी सी दस्तक भी
आहट लगती है तुम्हारी

बहुत सारे दिन और महीने
बित गए तुमसे बिछड़े
लेकिन तुम्हारा इन्तजार और
यादें आज तक नहीं बिछुड़े

तुम्हारे विरह के दर्द में
आज भी लम्बी आहें भरता हूँ
हर सांस के संग
तुम्हें याद करता हूँ

तुम्हारी सूरत आँखों से
नहीं निकल पाती है
जितना भी भुलना चाहता हूँ
उतनी ही याद अधिक आती है।





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