शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

घूँघट की आड़ में



घूँघट की आड़ में
तुम्हारा मुस्कराना
बारिश के मौसम में
छत पर भीगना
तुम्हारी यादें

गुदगुदाती रातों में 
शरारत भरी मुस्कराहटें 
पायल वाले पांवों की
खनकती आहटें
तुम्हारी यादें

चंचल चितवन की 
शोखभरी अदाएं
मखमली पलकों पर
बिखरी-बिखरी जुल्फें
तुम्हारी यादें

शबनम से होंठ
झील सी गहरी आँखें
फूल सी मुस्कराहट
नाज़नीन से अंदाज
तुम्हारी यादें

जंगल से भी धनी हैं तुम्हारी यादें 
मेहंदी, पायल, काजल, बिंदी में 
मैंने आज भी सहेज रखी है 
तुम्हारी यादें। 

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